केदारनाथ में रील बनाना पड़ा भारी रील न बनी रेल बन गई
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Published 2024-05-14
All Comments (21)
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मंदिरों में जो vip culture हैं जो अलग से vip लाइन लगती है वो भी बंद होनी चाहिए
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अच्छी बात है पर vip entry भी बंद होनी चाहिए।
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तमाशा बना दिया है ऐसे लोगों ने. इसमे जो असली श्रद्धाभाव के भक्त हैं उनको ज्यादे कष्ट होता है
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केदारबाबा का वही लोग दर्शन करें, जो लोग मोह माया छोड़ कर अपनी यात्रा पर निकले हैं, ना कोई फोन इस्तेमाल करना है,और ना ही कोई तमाशा करना है सिर्फ केदार बाबा का दर्शन करो,केदार बाबा आपका रास्ता जरूर सुनेंगे 🚩🚩जय केदार बाबा🚩🚩🙏
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मंदिरों में VIP दर्शन भी तत्काल प्रभाव से बंद होना चाहिए, जय महाकाल।
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यहां के होटल और पंडों आदि की लूट,समिति का आर्थिक भ्रष्टाचार, सुपारी पत्रकारिता और भी पापियों की दास्तान, खैर धैर्य रखे,महाकाल सब कुछ देख रहे हैं।
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क्या जरूरत है केदारनाथ धामजाने की जो घर पर शिवजी की शिवलिंग है उसकी ही पूजिए माता पिता की सेवा करिये यही सब से बढा धाम है
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अब से लगभग 17 साल पहले जब हम छोटे थे तब धाम पे गये थे तब बहुत अच्छा था इतनी भीड़ ओर इतना हुडदङ् तोह नहीं होता था।।।। अभी तोह विडिओ मे इस तरह अपने धामों को पर्यटन स्थल या अपने तरीके से मनोरंजन स्थल बनाना बनते हुए देख कर दिल बहुत दुखी होता ।।।।
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मंदिर मे केवल शालिनता से दर्शन किये जाने चाहिये। वो ही भक्ति है। हर हर महादेव
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बिल्कुल सही कार्यवाही, सब मौज मस्ती का अड्डा बन रहा है, उत्तराखंड के धार्मिक स्थल आवश्यक कार्यवाही होनी चाहिए, शालीनता व समर्पण व आस्था से देव दर्शन होना चाहिए,
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अवांछित गतिविधियों पर हर हालत पर रोक लगनी चाहिए । हमारे आस्था के परम पवित्र धर्म स्थलों पर इस तरह की दिखावटी ,बनावटी गैर धार्मिक गतिविधियों पर विराम लगे ।
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मंदिर में रिंल बनाने का कलचर तो हमारे नेताओं ने दिया है हमारे प्रधानमंत्री जी को भी बहुत शौक है ।
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सारे पुरोहित समाज,पंडा समाज,स्थानीय लोग के साथ-साथ ये हुड़दंगी, घुमक्कड़ी,जेब कतरे,नेता भी रील बनाने में लगे हुए हैं, लोगों ने वैकुण्ठ धाम को सैरगाह बना दिया है
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बिल्कुल सही। अगर रील बनाना बंद होगा तो भीड़ भी कम होगी। और सच्चे भक्त यहां तक पहुंचेंगे। जय उत्तराखंड 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏⚘️⚘️⚘️⚘️⚘️
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50 के ऊपर वाले ही समझदार तीर्थयात्री होंगे जो भक्ति की इच्छा से आए हो।
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50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ही इस टाइम आज्ञा मिलनी चाहिए चुची बच्चों को नहीं जय जय श्री केदारनाथ
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जीवन की अंतिम यात्रा समझ कर ही लोग यहाँ जाया करते थे पहले। मोहमाया त्याग कर शांत भाव से यात्राएं होती थी। ना दुखी ना सुखी ऐसा भाव रखें यात्री गण ।
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कृपया एक बार उसपे भी वीडियो बना दीजिए की मंदिर का सोना पीतल में कैसे बदला ??
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बाबा के धाम सिर्फ भक्त चाहिए, और कोई नहीं।
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मैं सोच रहा हु बिना बर्फ के हिमालय कैसा लगेगा । उसको देख के मुझे आनंद आ जायेगा। कई नदियां विलुप्त हो जायेगी जो इस केदारनाथ मंदिरों हजारों या लाखों गुना बेहतर है। मेरी गंगा मां, यमुना बिना पानी के कैसी लगेगी यह सोच के कभी कभी मन दुखी हो जाता हैं।